
सर्दी नानी
सर्दी नानी आई है।
शीत लहर वो लाई है।
गुड़िया भी बीमार है।
कस कर चढ़ा बुखार है।
रात - रात भर रोती है।
मम्मी भी न सोती है।
थर्मामीटर टूटा है।
डाक्टर अंकल रूठा है।
पैसे का अकाल है।
पहली का सवाल है।
सर्दी नानी जाओ तुम।
और कभी फिर आओ तुम।
गुड़िया रानी बच्ची है ।
ठीक रहे तो अच्छी है।
6 comments:
सर्दी नानी जाओ तुम।
और कभी फिर आओ तुम।... kisi ko mat darao
PAESE KAA AKAAL HAI
PAHLEE KAA SWAAL HAI
SARDEE RANI JAAO TUM
AUR KABHEE PHIR AAO TUM
BAHUT MARMIK !
ख़ूबसूरत एवं मार्मिक कविता! सर्दी में लोग बीमार पड़ जाते हैं और उसे लेकर आपने बड़े ही शानदार रूप से प्रस्तुत किया है! बधाई!
भाई अशोक,
गुड़िया की ही भांति बहुत ही मासूम और प्यारी कविता. बधाई.
चन्देल
बहुत ही प्यारी कविता
हृदयस्पर्शी भाव संजोये खूबसूरत अभिव्यक्ति।
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