Sunday, October 30, 2011

अशोक आंद्रे



सर्दी नानी



सर्दी नानी आई है।

शीत लहर वो लाई है।

गुड़िया भी बीमार है।

कस कर चढ़ा बुखार है।


रात - रात भर रोती है।

मम्मी भी न सोती है।

थर्मामीटर टूटा है।

डाक्टर अंकल रूठा है।


पैसे का अकाल है।

पहली का सवाल है।

सर्दी नानी जाओ तुम।

और कभी फिर आओ तुम।


गुड़िया रानी बच्ची है ।

ठीक रहे तो अच्छी है।

Sunday, July 3, 2011

अशोक आंद्रे





बूंदों का संगीत

रिमझिम-रिमझिम बरखा आई,
काली चादर - सी लहराई.
गलियों में बच्चों का शोर,
नाच रहे खुश होकर मोर .

पंख उड़ाता गाता गीत,
गर्मी ओढ़ रही है शीत.
धरती बाँट रही है प्रीत,
बूंदों का शीतल संगीत.


हरित क्रान्ति है चारों ओर,
हर्षित होकर भागें ढोर.