Monday, December 24, 2012

अशोक आंद्रे

वही सदा पछताते
एक तरफ है दूध-जलेबी
दूजी ओर मलाई .
बिल्ली मौसी सोच रही है
किसकी करूँ चटाई .
इतने में हलकी-सी आहट
जिस कोने से आई।
उसी तरफ बिल्ली को जाता
चूहा पडा दिखाई .
भूल गयी सब खान-पीना
देख उसे ललचाई .
रही घूरती बैठी उसने
लार नहीं टपकाई।
धीरे से उठ पंजा चला
झपट उधर को धाई ।
पर चूहे के साथ नदारद
थी उसकी परछाई।
मुड़ी दूसरी तरफ,देखकर
दंग रह गयी भाई।
टामी सारा दूध पी गया।
चट कर गया मलाई।
आधी छोड़ एक को धाते
वही सदा पछताते।
बड़े-बड़े, चालाक सदा
लालच में मारे जाते।
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