Saturday, May 29, 2010

अशोक आंद्रे


मेरी चिड़िया

मेरी प्यारी सुन्दर चिड़िया
चूँ -चूँ , चूँ -चूँ करती है ।
फुदक -फुदककर हर आँगन में
इधर-उधर वह तकती है ।

देख उसे फिर मुन्ना राजा
दाना आँगन में बिखराता ।
धीरे से फिर आगे बढकर
उसे तुरंत पकड़ने जाता ।

लेकिन चिड़िया अपनी धुन में
चूँ-चूँ, चूँ-चूँ करती है ।
आँगन का वह दाना चुगकर
चुपके से उड़ जाती है ।

Sunday, January 31, 2010

अशोक आंद्रे

छोटी - सी पैयाँ

छोटा - सा चंदा लम्बी -सी चांदनी ।
काली -सी रात में चांदी -सी रोशनी॥



नन्हे - से बीज में पीपल का पौधा ।
छोटी - सी बुद्धि में जीवन का सौदा ॥

काली - सी कोयल मीठी - सी रागिनी ।
छोटा - सा चंदा लम्बी - सी चांदनी ॥



नन्हा - सा फूल भी चमन में खेलता ।
इक दिन वही तूफानों को झेलता ॥

छोटी- सी पैयाँ लम्बी - सी ज़िन्दगी।
छोटा - सा चंदा लम्बी - सी
चांदनी ॥