Sunday, January 31, 2010

अशोक आंद्रे

छोटी - सी पैयाँ

छोटा - सा चंदा लम्बी -सी चांदनी ।
काली -सी रात में चांदी -सी रोशनी॥



नन्हे - से बीज में पीपल का पौधा ।
छोटी - सी बुद्धि में जीवन का सौदा ॥

काली - सी कोयल मीठी - सी रागिनी ।
छोटा - सा चंदा लम्बी - सी चांदनी ॥



नन्हा - सा फूल भी चमन में खेलता ।
इक दिन वही तूफानों को झेलता ॥

छोटी- सी पैयाँ लम्बी - सी ज़िन्दगी।
छोटा - सा चंदा लम्बी - सी
चांदनी ॥

4 comments:

रूपसिंह चन्देल said...

आदरणीय अशोक जी

छोटी लेकिन बहुत मोहक कविता है. बच्चों के लिए इससे अच्छी क्या कविता होगी.

चन्देल

Pran Sharma said...

Ashok jee ,aapne to gaagar mein
saagar bhar diyaa hai.khoob kahaa
hai aapne -
chota saa chanda
lambee see chandee
yah lambee see chandni sabko bhaayegee.

सुभाष नीरव said...

भाई अशोक जी, बहुत अच्छा ब्लॉग है यह आपका। कविता भी मन को भाती है। बधाई !

रश्मि प्रभा... said...

नन्हा - सा फूल भी चमन में खेलता ।
इक दिन वही तूफानों को झेलता ॥
bahut hi badhiyaa