Thursday, August 6, 2009

अशोक आन्द्रे

भारतवर्ष

धानी चुनरी ओढ़ खेत में
नाच रही खुशहाली।
झिलमिल - झिलमिल किरणें नाचें
अद्भुत छटा निराली ।

धूप , हवा , पानी
प्राणी - प्राणी में करते फर्क नहीं ।
इनके आगे अपने और
पराये में कुछ तर्क नहीं

ऐसे सुंदर सपनों वाला
एक देश है धरती पर ।
भारतवर्ष उसे कहते हैं
जहाँ सभी का है आदर ।

चूहे का क्रिकेट

क्रिकेट का जब मौसम आया
चूहे ने सबको बुलवाया ।
बालिंग करते चूहे जी
खूब छकाते सबको जी ।

बैटिंग का जब नंबर आया
लंबा बैट देख घबराया ।
नहीं समझ में आया जब
बैट छोड़कर भागा तब ।

1 comment:

PRAN SHARMA said...

ASHOK JEE,AAPKEE DONO RACHNAAON NE
MUN KO CHHOO LIYA HAI.SWATANTRTA
DIWAS KE SHUBH AVSAR PAR MEREE
BADHAAEE SWEEKAAR KIJIYEGA.