Monday, February 9, 2009

अशोक आन्द्रे

लहराता पेड़
हरा - भरा लहराता पेड़
पत्तों के संग गाता पेड़ ।
कभी फूल की गंध लुटाता
कभी फलों को लाता पेड़ ।
आए कोई जब पंछी भूखा
उसकी भूख मिटाता पेड़ ।
थके पथिक को छाया देकर
थकन मिटा , मुस्काता पेड़ ।
खडा तपस्वी - सा तप करता
घर - आँगन महकाता पेड़ ।

कागज की नाव
संग हवा के चलती नाव
ये कागज की मेरी नाव ।
मंद -मंद है इसकी चाल
कितनी सुंदर लगती नाव ।
लहरों पर फैलाए पाल
नदी बीच इतराती नाव ।
आंधी आए या तूफान
कभी नहीं घबराती नाव ।
रिमझिम होती जब बरसात
तभी नाचती मेरी नाव ।

चंदा मामा

रोज रात को आते मामा

कितने सुंदर भाते मामा

कभी बादलों के पीछे से

मधुर - मधुर मुस्कुराते मामा

कितने किस्से और कहानी

नानी रोज सुनाती मामा

सदा घूमते नील गगन में

मुन्नी तुम्हें बुलाती मामा ।

लहराती शाम

कोयल जैसा गाती शाम

तितली - सी इठलाती शाम ।

मस्ती में पत्तों के संग वह

वन - उपवन लहराती शाम ।

दिन के थके हुए जीवन को

फूलों - सा महकाती शाम ।

आसमान को गहरे छूकर

नतमस्तक हो जाती शाम ।

राग - द्वेष से होकर दूर

सुंदर सपने लाती शाम ।

बादल गीत

उमड़ - घुमड़ कर आते बादल

नभ में गहरे छाते बादल ।

मस्ती में बिजली चमका कर

अपना रूप दिखाते बादल ।

रिमझिम बूँदों को बरसा कर

जग की आग बुझाते बादल ।

रूखे - सूखे , भूखे मन में ,

जीवन आस जगाते बादल ।

2 comments:

Anonymous said...

Bhai , Khubsurat blog aur utni hi khubsurat bachchon ki kavitayen.

Badhai, dekha bhi khub jaa raha hai.

Chandel

रावेंद्रकुमार रवि said...

बच्चों के लिए आपने अच्छी रचनाओं का सर्जन किया है!