भय का शेर
एक रात गीदड़ सपने में
बन बैठा जंगल का राजा,
घोडों के रथ पर बैठा वह,
हाथी बजा रहे थे बाजा।
भालू और भेड़ियों की थी
फौज चल रही आगे - आगे ,
जंगल के कुछ और जानवर ,
रथ के पीछे - पीछे भागे।
नाच रही लोमड़ी डगर में
बन्दर बजा रहा शहनाई
जिसकी मीठी तान , मांद में ,
बीच शेर को पडी सुनाई ।
वह जागा , अँगड़ाया उठकर ,
तुंरत मांद से बाहर आया ,
गीदड़ का जुलूस देखा तो ,
गुस्से में माथा भन्नाया ।
घुड़का , फिर बादल- सा गरजा ,
कस कर एक छलांग लगाई ,
गीदड़ चीखा , अरे बाप रे ,
अब तो मेरी शामत आई ।
रथ से कूद जोर से भागा
भय का शेर लग गया पीछे ,
सपना टूटा , नींद खुल गई ,
फिर भी लेटा आँखे मीचे ।
एक रात गीदड़ सपने में
बन बैठा जंगल का राजा,
घोडों के रथ पर बैठा वह,
हाथी बजा रहे थे बाजा।
भालू और भेड़ियों की थी
फौज चल रही आगे - आगे ,
जंगल के कुछ और जानवर ,
रथ के पीछे - पीछे भागे।
नाच रही लोमड़ी डगर में
बन्दर बजा रहा शहनाई
जिसकी मीठी तान , मांद में ,
बीच शेर को पडी सुनाई ।
वह जागा , अँगड़ाया उठकर ,
तुंरत मांद से बाहर आया ,
गीदड़ का जुलूस देखा तो ,
गुस्से में माथा भन्नाया ।
घुड़का , फिर बादल- सा गरजा ,
कस कर एक छलांग लगाई ,
गीदड़ चीखा , अरे बाप रे ,
अब तो मेरी शामत आई ।
रथ से कूद जोर से भागा
भय का शेर लग गया पीछे ,
सपना टूटा , नींद खुल गई ,
फिर भी लेटा आँखे मीचे ।
8 comments:
भाई अशोक जी, बाल रचनाओं का आपका यह ब्लॉग अच्छा लगा। रचनाओं के संग छोटे छोटे ऐसे चित्र भी दिया करें जिन्हें बच्चे पसंद करते हैं।
BAAL KAVITA ACHHHEE LAGEE HAI.KAVITA MEIN PRAVAH HAI.
BHAI,AAP KHOOB LIKHTE HAIN.
MEREE BADHAAEE SWEEKAAR KIJIYE.
आप का सारा ब्लाग पढ़ा, बाल रचनाएँ बहुत बढ़िया लगीं.
बधाई.
Kisee geedad kuchh aql aa jaye...! Aapke blog pe pahlee baar aayee hun...abhi aur padhna hai! Behad saral,seedhe alfaaz hain rachna ke...'! Katha sansaar abhi dekhna padhna hai!
आदरणीय अशोक जी
आज ही आपका यह ब्लॉग देखा. बहुत सुन्दर लगा. बहुत सुन्दर कवितायेँ लिखी हैं आपने. बाल कवितायेँ तो बच्चों के लिए उपहार की तरह हैं. मनमानी, कहानी 'नदी और घड़ा' , गर्मी का गीत, सच्चा व्यापार, चूहे का क्रिकेट, भारतवर्ष, भय का शेर और छोटी- सी पैयाँ एक ही बार में पढ़ डालीं. बहुत बढ़िया और रोचक लगीं.
महावीर शर्मा
अशोक जी
आज आपका ब्लॉग देखा.| सभी रचनाएँ पढ़ गई | बच्चों के लिए रचनायें लिखना आसान नहीं और न ही उनके लिए कई ब्लाग्स होंगे | आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं | इसका लिंक दूसरों को भेजूंगी | शुभकामनाएं !
सादर
इला
bahot achche.
श्री अशोक जी
बहुत ही मनोरंजक कविता कहानी है |जोर -जोर से पढ़ती रही हंसती रही |मेरा यह हाल है तो बच्चों का क्या होता होगा |वे तो कविता पाठ करते -करते झूम उठते होंगे |
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