भारतवर्ष
धानी चुनरी ओढ़ खेत में
नाच रही खुशहाली।
झिलमिल - झिलमिल किरणें नाचें
अद्भुत छटा निराली ।
धूप , हवा , पानी
प्राणी - प्राणी में करते फर्क नहीं ।
इनके आगे अपने और
पराये में कुछ तर्क नहीं ।
ऐसे सुंदर सपनों वाला
एक देश है धरती पर ।
भारतवर्ष उसे कहते हैं
जहाँ सभी का है आदर ।
चूहे का क्रिकेट
क्रिकेट का जब मौसम आया
चूहे ने सबको बुलवाया ।
बालिंग करते चूहे जी
खूब छकाते सबको जी ।
बैटिंग का जब नंबर आया
लंबा बैट देख घबराया ।
नहीं समझ में आया जब
बैट छोड़कर भागा तब ।
Thursday, August 6, 2009
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1 comment:
ASHOK JEE,AAPKEE DONO RACHNAAON NE
MUN KO CHHOO LIYA HAI.SWATANTRTA
DIWAS KE SHUBH AVSAR PAR MEREE
BADHAAEE SWEEKAAR KIJIYEGA.
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