सच्चा व्यापार
सोंधी हवा महकते फूल ,
भँवरे रहे लता पर झूल ।
कोयल बोले मीठे बोल ,
मिस्री - सी जीवन में घोल ।
नव प्रभात की उजली भोर ,
शुभ भविष्य की मंगल डोर ।
सूरज भी दिखलाता प्यार ,
खेतों का करता सिंगार ।
झूम रही नदिया की धार ,
महक रहा जीवन की सार ।
मेहनत ही सच्चा व्यापार ,
जीवन के सुख का आधार ।
गर्मी का गीत
गर्मी के मौसम में भईया ,
लू लगती है भारी ।
कंबल और रजाई भागे ,
कहकर हमको सॉरी !
झुलस रही हरियाली ,
है सड़कों पर सन्नाटा ।
एयर कूल में बैठ सभी ,
गर्मी को कहते टा - टा ।
2 comments:
आपकी रचनाएँ अच्छी लगीं!
शुभकामना है कि
आप ऐसी ही रचनाओं का सृजन
हमेशा करें!
wahhhh sir ji kya baat hai...julas rahi hai haryali ...nayi soch...nashkaar
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