मनमानी
मुर्गा बोला कुक्डूं -कूं ,
कुत्ता बोला - रोता क्यूँ ,
बिल्ली बोली - म्याऊं - म्याऊं
चुहिया बोली -मै क्यूँ आऊं ,
कौआ बोला - काऊं - काऊं ,
चिड़िया कहे -यह मेरा गांव ,
मुन्ना देख इन्हें मुस्काएं ,
भाला लेकर राजा आए ,
जंगल की तो यही कहानी ,
सब करते अपनी मनमानी ।
दोरेन विक्रमादित्य
हिंदुस्तान (रवि उत्सव )१७-३-०२ में प्रकाशित
Saturday, March 21, 2009
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2 comments:
सुंदर कविता रचने के लिए दोरेन को बधाई!
bahut sadgee liye hue yeh kavita bachchon ke liye sundar tatha mast rachnaa hai. badhai.
ratnaa dee
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