हरा - भरा लहराता पेड़
पत्तों के संग गाता पेड़ ।
कभी फूल की गंध लुटाता
कभी फलों को लाता पेड़ ।
आए कोई जब पंछी भूखा
उसकी भूख मिटाता पेड़ ।
थके पथिक को छाया देकर
थकन मिटा , मुस्काता पेड़ ।
खडा तपस्वी - सा तप करता
घर - आँगन महकाता पेड़ ।
कागज की नाव
संग हवा के चलती नाव
ये कागज की मेरी नाव ।
मंद -मंद है इसकी चाल
कितनी सुंदर लगती नाव ।
लहरों पर फैलाए पाल
नदी बीच इतराती नाव ।
आंधी आए या तूफान
कभी नहीं घबराती नाव ।
रिमझिम होती जब बरसात
तभी नाचती मेरी नाव ।
रोज रात को आते मामा
कितने सुंदर भाते मामा
कभी बादलों के पीछे से
मधुर - मधुर मुस्कुराते मामा
कितने किस्से और कहानी
नानी रोज सुनाती मामा
सदा घूमते नील गगन में
मुन्नी तुम्हें बुलाती मामा ।
लहराती शाम
कोयल जैसा गाती शाम
तितली - सी इठलाती शाम ।
मस्ती में पत्तों के संग वह
वन - उपवन लहराती शाम ।
दिन के थके हुए जीवन को
फूलों - सा महकाती शाम ।
आसमान को गहरे छूकर
नतमस्तक हो जाती शाम ।
राग - द्वेष से होकर दूर
सुंदर सपने लाती शाम ।
उमड़ - घुमड़ कर आते बादल
नभ में गहरे छाते बादल ।
मस्ती में बिजली चमका कर
अपना रूप दिखाते बादल ।
रिमझिम बूँदों को बरसा कर
जग की आग बुझाते बादल ।
रूखे - सूखे , भूखे मन में ,
जीवन आस जगाते बादल ।
2 comments:
Bhai , Khubsurat blog aur utni hi khubsurat bachchon ki kavitayen.
Badhai, dekha bhi khub jaa raha hai.
Chandel
बच्चों के लिए आपने अच्छी रचनाओं का सर्जन किया है!
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